शनिदेव की सही पूजा विधि से बदले अपने भाग्य के सितारे , shanidev ki sahi puja vidhi se badle apne bhagy ke sitare

शनिदेव की सही पूजा विधि से बदले अपने भाग्य के सितारे(shanidev ki sahi puja vidhi se badle apne bhagy ke sitare

शनिदेव की पूजा कैसे करें अक्सर लोगों के मन में यह प्रश्न उठता है? उनके मन में असमंजस की स्थिति इसलिए भी उत्पन्न होती है क्योंकि शनि देव की सही पूजा विधि ना करने से कई तरह के दंड भी उन्हें भुगतने पड़ सकते हैं। ऐसे में शनि देव की पूजा कैसे करें इस प्रश्न का उत्तर प्रत्येक वह जन प्राप्त करना चाहते हैं। जो शनि ग्रह के द्वारा किसी ना किसी रूप में पीड़ित है। चाहे वह शनि की साढ़ेसाती हो या शनि की ढैया हो या शनि की महादशा हो या शनि की दशा हो या लग्न पत्रिका में शनि ग्रह की दृष्ट अवस्था के कारण उसका जीवन कष्टकारी चरणों से गुजर रहा हो।

ऐसे में शनिदेव की पूजा कैसे करनी चाहिए? उन्हें कैसे प्रसन्न करना चाहिए? उनकी कृपा कैसे प्राप्त करनी चाहिए? यह सभी प्रश्न उठना मन में स्वाभाविक सी बात हैl शनिदेव की पूजा कैसे करें जिससे शनि महाराज न केवल उक्त पीड़ित व्यक्ति पर अपनी कृपा बरसाए बल्कि परिवार में सुख समृद्धि में वृद्धि का आशीर्वाद भी प्रदान करेंl जीवन में चल रही सभी तरह की समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकें। स्वयं कर्मों के फल दाता का आशीर्वाद जिसके ऊपर  रहता है।

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उसके जीवन में क्या कोई विडंबना, क्या कोई परेशानी रह सकती है? शनि देव जो भगवान दीनानाथ के पुत्र हैं किंतु फिर भी उन्हें पितृ शत्रु माना जाता है। जिसका आख्यान विभिन्न पुराणों में मिलता है। ऐसी मान्यता है कि जहां तक सूर्य की किरने पहुंचती है। वहां तक कभी भी शनि ग्रह का निकृष्ट प्रभाव नहीं पड़ सकता है। जहां से सूर्य देव की सीमा समाप्त होती है। वहां से कर्मफल दाता ब्रह्मांड के दंडाधिकारी, कमजोर वर्ग तथा परिश्रम करने वाले लोगों का प्रतिनिधित्व करने वाले शनिदेव का साम्राज्य उदित होता है। शनि देव जो सृष्टि में संतुलन स्थापित करने के लिए बने हैंl वह प्रत्येक जीव जंतु के साथ प्रत्येक प्राणी के साथ उचित न्याय का समर्थन करते हैंl ऐसे लोग जो विषमताओं से गिरे हुए हैं।

जो किसी न किसी तरह से किसी व्यक्ति विशेष या किसी को प्रताड़ित कर रहे हैं या अनुचित विषमता अस्वाभाविक समता जैसी चीजों में अधिक लिखते रहते हैं।  ऐसे लोगों के लिए शनि साक्षात काल है। ऐसे लोगों के लिए शनिदेव साक्षात यम का प्रतिनिधित्व करते हैं। अनुराधा नक्षत्र के स्वामी शनिदेव का प्रभाव न केवल मनुष्यों पर पड़ता है। बल्कि प्रत्येक जीव का कर्म फल प्रत्येक देवताओं देवियों तथा विभिन्न प्रकार के योनियों में जन्म लेने वाले जीवो पर भी इनका अधिपत्य माना जाता है। इनके कालचक्र से किसी का बचना नामुमकिन माना जाता है।

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शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए सबसे पहले अपने अंदर अच्छे गुणों के सद्गुणों के वृद्धि पर ध्यान दिया जाता है।  तभी उनकी कृपा किसी व्यक्ति विशेष को या किसी भी जीव को प्राप्त होती है। जो लोग अपने कर्म अच्छे रखते हैं। उनके साथ कितनी भी बड़ी घटना क्यों न घट जाए? किंतु वे सभी चीजों पर विजय प्राप्त करने में सफल रहते हैं। तो आइए जानते हैं शनिदेव की पूजा की सही विधि जिससे हमें लाभ प्राप्त हो –

शनिदेव की पूजा कैसे करे(shanidev ki puja kaise kare)

कभी भी भूल कर भी शनिदेव के समक्ष खड़े होकर या बिल्कुल शनिदेव के मंदिर के प्रत्यक्ष में स्थित मूर्ति के समक्ष खड़े होकर पूजा करने से व्यक्ति विशेष को बचना चाहिए।  कभी भी मूर्ति के बिल्कुल सामने खड़े होने के बजाय आप यदि मंदिर जा रहे हैं। तो किनारे में खड़े होकर आप पूजा कर सकते हैं या प्रार्थना कर सकते हैं। भूलकर भी उनके नेत्र में देखने का प्रयास ना करें क्योंकि शनि की दृष्टि वक्र होती है।

ऐसे में लाभ की जगह आपको नुकसान हो सकता है। घर पर शनिदेव की मूर्ति या उनका चित्र रखना वर्जित माना जाता है। अतः यदि आप उनकी पूजा अर्चना करते हैं। तो उनके नाम से दीपक लगाना सही रहता है। यह कुछ विधियां हैं  जिससे शनिदेव की विशेष कृपा को प्राप्त किया जा सकता है ऐसी मान्यता है की शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए पीपल तथा शमी का पेड़ की पूजा की जाती है l  शनिदेव की पूजा अर्चना करने से पूर्व उपर्युक्त वर्णित बातों का ज्ञान होना बहुत आवश्यक है।

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शनिवार के दिन सर्वप्रथम स्नानादि से निवृत हो लें सूर्य उदय से पूर्व शनि देव की पूजा करने का सबसे उपयुक्त समय माना जाता है या फिर शाम की संध्या बेला हम भी उपयुक्त मानी गई हैl

शनि देव को भोग क्या लगाएं(shanidev ko bhog kya lagaye)

यदि आप घर पर या मंदिर में उनकी पूजा अर्चना करने जा रहे हैं। तो आप शनिदेव को भोग के रूप में मीठी रोटी सरसों के तेल में सीकि हुई अर्पित कर सकते हैं या फिर काले चने के सेंधा नमक युक्त छोले या फिर केवल काला चना भी भोग के रूप में प्रयोग किया जा सकता है या उड़द दाल की खिचड़ी सेंधा नमक युक्त भी शनिदेव के भोग में प्रयोग किया जा सकता है। यदि शनि देव को भोग लगा हुआ प्रसाद आप जितनी मात्रा में हो सके उतना वितरण करते हैं। 

तो आपको उनके पूजा का फल बहुत अधिक प्राप्त होता है।  खासकर ऐसे वर्ग जो कई तरह से वंचित हैंl उन्हें नमक युक्त भोजन कराना जो कि शनि देव को भोग के रूप में अर्पित किया गया है। आपके भाग्य को चमका सकता है या फिर जो भी मीठी रोटी भोग में शनि देव को लगाई गई है। उसे आप कौवा को या काले कुत्तों को या काली गाय को भी खिला सकते हैं या भैंस को भी खिलाया जा सकता है।

शनिदेव की पूजा कैसे करें तथा उनके नाम का कौन सा दीपक लगाना चाहिए(shanidev ki puja kese kare tatha unke naam ka koun sa dipak lagana chahiye)

शनिदेव की पूजा अर्चना में सबसे उत्तम सरसों का तेल का दीपक माना जाता है तथा यदि सरसों का तेल उपलब्ध ना हो तो ऐसी अवस्था में तिल का तेल का भी प्रयोग किया जा सकता है। आपके द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली बातें भी बहुत अधिक महत्व रखती है। अतः कच्चे सूत का यदि दीपक लगाया जाए तो आपका पूजा काफी अधिक प्रभावशाली हो सकता है।  आप शनि देव की पूजा में इन दोनों में से किसी भी एक दीपक का प्रयोग करेंl

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शनिदेव की पूजा कैसे करें तथा किन मंत्रों का करे जाप जीत से शनिदेव को प्रसन्न कर सके हो जाए हर कष्ट का नाश

भोग लगाने के बाद तथा दीपक लगाने के बाद शनिदेव का शांत चित्त से मंत्रों का जाप करना चाहिए।

llऊँ ह्रिं नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम। छाया मार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम्ll

llॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:ll

llॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नम:ll

llॐ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:ll

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