शनिदेव की पूजा करने से मिलने वाले विविध लाभ(shanidev ki puja karne se Milne vale vividh labh)
शनिदेव की पूजा करने से क्या होता है- कलयुग में लोगों में भौतिक उन्माद की स्थिति बहुत अधिक व्याप्त हो चुकी है। लोग केवल अपने स्वार्थ में रहकर, अपनी ईर्ष्या में बहकर अपनों को ही ग्रास बना रहे है। कई लोग गलत चीजों का भी सहारा लेते है। जैसे- तंत्र- मंत्र की क्रिया करना या टोना टोटका कर किसी का जीवन बर्बाद कर देते हैंl अपने ही लोग जब अधिक ईर्ष्यालु होने लगते हैंl तब उनके समक्ष जो भी व्यक्ति विशेष आता है। जो किसी न किसी रूप में सफल होता है। उस व्यक्ति को घर के ही सदस्य ग्रास बनाकर खाने लागते है।
भोला भाला व्यक्ति उनकी मंशा को समझ नहीं पाता है। कई बार वह इन सब चीजों के जाने के बाद भी चुप रहता है और ईश्वर से सदैव अपनी रक्षा की याचना करता है। ऐसे क्रूरतम युग में आज लोगों में स्पष्ट ह्रदय, स्वधा ह्रदय देखना नामुमकिन है। कुछ लोग जो बहुत ही अच्छे प्रवृत्ति के रहते हैं। उन पर लोगों के द्वारा जमकर अत्याचार किया जाता हैl लोग कलयुग में अपने आप को भगवान से कम नहीं समझ रहे हैं। साथ में नकारात्मक शक्तियों का प्रयोग कर स्वयं को भगवान के समतुल्य समझने लगे हैं। किंतु जिसकी इच्छा के बिना एक पत्ता तक नहीं डोलता है।
उस ईश्वर की बराबरी करना क्या किसी के बस की बात है? ईश्वर के द्वारा रचे गए इkस ब्रह्मांड में कई अलौकिक चीजों की व्यापकता है। जो वर्तमान के मानव के समझ से पड़े हैं। इसी सृष्टि के ब्रह्मांड में नौ ग्रहों की चाल कैसे व्यक्ति के जीवन को बर्बाद भी कर सकती है तथा आबाद भी कर सकती हैl किंतु कुछ ऐसे भी ग्रह है। जो मानवीय जीवन हो या कोई भी जीव या कोई भी देवी देवता उन पर बहुत अधिक प्रभाव डालते हैं। उस ग्रह की आधिपत्य से सृष्टि का एक भी जीव एक भी प्राणी अछूता नहीं है। उस ग्रह को हम ज्योतिष विज्ञान में शनि ग्रह मानते हैं तथा सनातन संस्कृति में उन्हें शनिदेव की उपाधि से अलंकृत किया जाता है।
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शनि देव जो माता 7 के पुत्र हैं तथा सूर्य पुत्र भी है किंतु सूर्य की विपरीत दिशा में चलना उन्हें सदैव से अति प्रिय है। भगवान रुद्र के द्वारा वरदान के स्वरूप में उन्हें पूरे ब्रह्मांड का दंडाधिकारी होने का गौरव प्राप्त है। सृष्टि में एक सही संतुलन लाने के लिए उनकी उत्पत्ति हुई है। ऐसे में कलयुग का मानव जो बहुत ही दुष्ट प्रवृत्ति का है। उस पर शनिदेव का प्रभाव बहुत अधिक देखने को मिलता है। शनि ग्रह जो स्वभाव से बहुत ही उग्र माने जाते हैं। किंतु चाल से बहुत धीमे यही कारण है कि जब इनकी न्याय की बारी आती है। तब छोटे से छोटे नग्न कर्म की भी सूची के अनुसार यह कर्म फल प्रदान करते हैं।
ऐसे में लोग जो वर्तमान के समय में कितनी भी अच्छी प्रवृत्ति रखते हो, कितना भी अच्छा कर्म करते हो किंतु जन्म जन्मांतर में उनके द्वारा किया गया कोई पाप, कोई अनुचित कार्य का प्रतिफल उन्हें इस जन्म में प्राप्त होता है। कहने का अर्थ है कि आप कितना भी जन्म ले ले किंतु शनि के द्वारा दिया जाने वाला प्रतिफल आपको किसी भी जन्म में नहीं छोड़ने वाला है। तो आइए जानते हैं कि कलयुग में घोड़ परेशानियों में घिरे हुए लोग कैसे शनिदेव की पूजा अर्चना कर उनसे अपने पापों की क्षमा याचना कर उनकी कृपा कैसे प्राप्त कर सकते हैं तथा उनकी पूजा-अर्चना करने से किसी व्यक्ति विशेष को क्या-क्या लाभ हो सकते हैं? आज हम इस लेख में चर्चा करेंगे-
शनिदेव की पूजा करने से क्या होता है(shanidev ki puja karne se Milne vale vividh labh)
शनि देव जिनका आधिपत्य शनिवार के दिन माना जाता है। इस दिन कालों के काल भगवान बाबा भैरव का भी दिन माना जाता है। यह एक ऐसा दिन होता है। शनि देव को लेकर लोगों में काफी अधिक भ्रांतियां फैली हुई है यही कारण है कि इस दिन लोग काफी सतर्क होकर चलना पसंद करते हैं। शनि देव बहुत अधिक किसी भी व्यक्ति पर कुपित हो जाए। तो व्यक्ति का जीवन बिल्कुल नर्क के समान बन जाता है। उसके खराब दिनों की शुरुआत होने लगती है किंतु यही यदि प्रसन्न हो जाए तो व्यक्ति के हाथों में घी मलाई मक्खन की कमी नहीं रह जाती है।
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किसी भी व्यक्ति विशेष के द्वारा यदि कर्म फल दाता की सेवा अर्चना की जाती है। तो जातक के जन्म पत्रिका में जिस भी अवस्था में शनि देव अवस्थित रहते हैं। उनकी स्थिति में धीरे-धीरे ही सही सुधार होने लगता है। जिससे व्यक्ति का जीवन भी बदलाव की गति को आने लगता है। शनि देव उस पर प्रसन्न होने लगते हैं। उनके द्वारा व्यक्ति के जीवन से सभी तरह की समस्याओं को हर लिया जाता है। व्यक्ति का जीवन बहुत ही सुख शांति समृद्धि से युक्त होता है। व्यक्ति की स्थिति दिनोंदिन अच्छी होने लगती है तथा वह राजसुख को प्राप्त करने में सफल रहता है।
शनिदेव की पूजा करने से क्या होता है(shanidev ki puja karne se kya hota hai)
पूरे ब्रह्मांड में शनिदेव ही एक ऐसे ग्रह के रूप में विद्यमान है। जिन पर न्याय प्रणाली की सुरक्षा की जिम्मेदारी स्वयं नीलकंठ महादेव ने सौंपा है। प्रकृति के नियम के विरुद्ध चलने वाले लोगों को शनि देव जन्म जन्मांतर तक दंडित करते हैं। शनि देव दंड के विधान को निर्धारित करते हैंl जिसकी सीमा न केवल मनुष्यों पर बल्कि देवी-देवताओं के अलावा भी 8400000 योनियों में जन्म लेने वाले विभिन्न जीवो पर भी लागू होता हैl शनि देव जिस पर प्रसन्न हो जाए माना जाता है। उसके भाग्य के तारे चमकने लगते हैं। उसके समक्ष कोई भी टिक नहीं पाता हैl अप्रत्यक्ष शत्रु हो या प्रत्यक्ष शत्रु कितनी भी विद्वता रखता किंतु
शनिदेव के कृपा पात्र व्यक्ति विशेष का वह बाल भी बांका नहीं कर पाता है। कर्म प्रधान देवता की शरण में जाने से व्यक्ति के जीवन में चल रही सभी समस्याओं का समाधान प्राप्त होता है। ऐसे जिन पर साढ़ेसाती का बुरा प्रभाव देखने को मिलता है या शनि के द्वारा उत्पन्न किसी भी तरह के दोष शनि की ढैया, शनि की दशा, शनि की महादशा जैसी विचलित करने वाली दुर्योग से भी शनिदेव की पूजा अर्चना करने से बहुत राहत प्राप्त होती है क्योंकि यह सभी योग काफी हानिकारक माने जाते हैं।
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ऐसे में व्यक्ति के जीवन में कई तरह की आकस्मिक दुर्घटनाओं का सामूहिक दुर्योग घटने लगता है। व्यक्ति की स्थिति इन परिस्थितियों में क्षत-विक्षत होने लगती है क्योंकि व्यक्ति के प्रारंभ किसी भी जन्म में उसका पीछा नहीं छोड़ते हैं। अतः शनि का इस प्रकार का गोचर व्यक्ति के द्वारा किए गए किसी जन्म में अनुचित एवं पाप कार्य को दर्शाता हैl ऐसे में शनि उसे बहुत अधिक दंडित करते हैं। अधिक से अधिक उसे मानसिक परेशानियां कई तरह के अपमान होने के दूरयोंग से भी व्यक्ति को गुजरना पड़ता है। किंतु जो व्यक्ति शनि के अंतर्दशा में या शनि की साढ़ेसाती के दौरान शनिदेव की शरण में जाता है।
शनिदेव की पूजा अर्चना करता हैl इसके साथ-साथ अपने अंदर व्याप्त नकारात्मक प्रवृत्ति पर भी कार्य करता हैl दुर्गुणों से दूर रहता है एवं अवस्था में उसके द्वारा किए गए पिछले जन्म के कर्म का हिसाब करते वक्त शनि देव उसे क्षमा प्रदान करते हैं तथा जितना हो सके उतना अधिक उसे अपने सानिध्य में रखने का प्रयत्न करते हैं। जिससे व्यक्ति का कष्टकारी जीवन या कष्टकारी समय
जल्द से जल्द कट जाए और व्यक्ति विशेष को कम से कम नुकसान या कम से कम विकृति जैसे अवस्था से वह हो गुजर सके। एक अच्छा व्यवसाय प्राप्त करने के लिए एक अच्छा आजीविका प्राप्त करने के लिए शनिदेव का बलिष्ठ होना बहुत आवश्यक होता हैl जो लोग शनिदेव की स्थिति को मजबूत करना चाहते हैं। उन्हें उनकी सेवा भक्ति सहर्ष हृदय से करना चाहिए। जिससे उन्हें आजीविका के साधनों में स्थायित्व का बोध प्राप्त हो सके।
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