शनिदेव को कैसे प्रसन्न करें(shanidev ko kese prasnn kare)
शनिदेव को प्रसन्न(shanidev ko prasnn) करने के लिए भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान जी की शरण में जाना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि जो लोग हनुमान जी की सेवा आराधना करते हैं। पूजा अर्चना करते हैं उन पर कभी भी शनि ग्रह की कुदृष्टि नहीं पड़ती है। अतः जो लोग शनि देव की कुदृष्टि से बचना चाहते हैं तथा उनके द्वारा उत्पन्न किए जाने वाले दुर्दशाओं से बचना चाहते हैं। तो उन्हें शनिवार एवं मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ कम से कम 5 बार करना चाहिए या हनुमान चालीसा का पाठ 11 बार करना चाहिए
शनिवार के दिन प्रातः स्नानादि से निवृत्त होकर भगवान श्री राम जी के परम दूत बजरंगबली को मोतीचूर के लड्डुओं का भोग लगाकर मंदिर में यदि सुंदरकांड का पाठ या हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो व्यक्ति को राहु- केतु के साथ-साथ शनि ग्रह के द्वारा उत्पन्न की जाने वाली प्रत्येक तरह की नकारात्मक चीजों से सुरक्षा प्राप्त होती है।
शनि देव को कैसे प्रसन्न करें(shani dev ko kese prasnn kare)
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शनिदेव व्यक्ति के ऊपर यदि प्रसन्न हो जाते हैं। तो व्यक्ति का जीवन नई उमंगों से, नई तरंगों से भर जाता है। व्यक्ति बड़े से बड़ा चुनौती पूर्ण परिस्थिति में भी अपने साहस पराक्रम से अपने दुश्मनों के छक्के छुड़ाने की क्षमता रखता है। वह भाग्य की जगह कर्म को अधिक प्रधानता देता हैl उसका मस्तिष्क कांति युक्त होता है। जो व्यक्ति शनि ग्रह के द्वारा उत्पन्न योग जैसे- शनि की साढ़ेसाती, शनि की ढैया, शनि की दशा, शनि की महादशा आदि जैसी चीजों से पीड़ित है।
तो उसे काली गाय की सेवा अवश्य करनी चाहिए या यदि संभव हो तो अपने भोजन से कुछ हिस्सा कौवा तथा कुछ हिस्सा काली गाय को अवश्य प्रदान करें। शनिवार के दिन काली गाय को तथा कौवा को मीठी रोटी अवश्य सेवन करने देl इससे शनिदेव की कृपा जातक के ऊपर बनती है तथा अपनी कुदृष्टि पर वह अंकुश लगा देते हैं। सभी तरह की बाधाएं जातक के जीवन से समाप्त होने लगती है। उसका जीवन प्रवीण अवस्था में धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगता है।n
शनि देव को कैसे प्रसन्न करें-(shani dev ko kese prasnn kare)
शनिदेव कमजोर लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं। ब्रह्मांड के न्यायधीश सदा सभी पक्षों के साथ न्याय करते हैं। यही कारण है कि उन्हें परिश्रम करने वाले तथा कमजोर वर्ग के लोगों का प्रतिनिधित्व करता माना जाता है तथा जो लोग अनुचित विषमता एवं ब्रह्मांड में असंतुलन उत्पन्न करते हैं। उनके लिए शनि दंड देने का भी प्रावधान रखते हैं। ऐसे लोग जो समाज में किसी के द्वारा दबे कुचले हैं। जिनका स्वामित्व या जिन की प्रधानता कोई नहीं करना चाहता है। उनकी प्रधानता शनिदेव करते हैं।
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जितने भी मजबूर वर्ग है या कोई असहाय व्यक्ति विशेष जो शारीरिक रूप से कई तरह की अक्षमताओं से युक्त है या मानसिक रूप से विक्षिप्त है या ऐसा व्यक्ति विशेष योग रोजी- रोटी के लिए कड़ी मेहनत कर रहा है। जिसे हम मजदूर कह सकते हैं। ऐसे लोगों का प्रतिनिधित्व शनि ग्रह के द्वारा किया जाता है। जब हम भूलवश या जानबूझकर किसी भी व्यक्ति विशेष को जो ऐसे वर्ग से संबंधित होते हैं।उन्हें कटु वचन बोलते हैंl उस दिन पर हमारे समय में नकारात्मक परिवर्तन शुरू हो जाता है। शनि की कुदृष्टि हमारे ऊपर पड़ जाती है तथा हमारे बर्बादी के दिन शुरू हो जाते है। गरीबों की हाय लग जाती है।
जिससे व्यक्ति दिनों दिन कई तरह की मानसिक परेशानियों से गुजरने लगता है। मानसिक संताप उसे जीने नहीं देते हैं। पारिवारिक दोष उसकी जिंदगी को बर्बाद कर देते हैं। उसके दुर्योग उसे कहीं का नहीं छोड़ते हैं इसलिए कभी भी किसी भी व्यक्ति को भूलकर भी कटु वचन नहीं कहना चाहिएl जब तथा अपने ऊपर घमंड करना भी शनि की कुदृष्टि के पात्र बनाना माना जाता है। जब हम अपनी वाणी में कर्कश शब्दों का प्रयोग करते हैं। तो इस प्रकार हम अपने शनि ग्रह को दृष्ट अवस्था में स्वयं ही भेजते हैंl स्वयं ही हम शनि ग्रह के नाराजगी का दंश झेलते हैं। ऐसे में शनि देव हम लोगों से कुपित हो जाते हैं। तथा हमारे ऊपर कई तरह के नकारात्मक चीजों का प्रभाव बढ़ने लगता है।
जिंदगी पूर्ण रूप से एक नर्क के समान बदल जाती है इसलिए अपनी वाणी पर नियंत्रण रखना बहुत आवश्यक है। चाहे व्यक्ति किसी भी समूह का हो वह अमीर हो या गरीब हो उसका वर्ण गोत्र धर्म जो भी हो सदा मृदु भाषा का प्रयोग उसके साथ करना चाहिए। हमें कठोर वाणी के प्रयोग से बचना चाहिए तथा जब भी कभी मौका मिले तो मजदूर वर्ग की सेवा अवश्य करनी चाहिएl चाहे आप उन्हें कुछ भोजन के रूप में नमक की युक्त भोजन खिला सकते हैं या कुछ मिठाइयां उन्हें अवश्य दें या हो सके तो कुछ धन भी दे सकते हैं या काले छाते देना भी बहुत अच्छा माना जाता है या कोई भीक्षाटण कर रहा है।
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तो उसे अवश्य कुछ ना कुछ भोजन दें इसके साथ-साथ पैरों में चप्पल या जूते अपने सामर्थ्य अनुसार अवश्य उसे पहनाए आप देखेंगे कि इस प्रयोग से आपका जीवन किस प्रकार बदल रहा है? किस प्रकार नकारात्मकता स्वयं ही आपके जीवन से नष्ट होती चली जा रही है एवं सकारात्मक चीजों का प्रवाह आपके जीवन में बढ़ रहा है। शनि देव की कृपा से आप के पुरुषार्थ में भी अच्छे बदलाव आ रहे हैं। आपकी कार्यशैली में होने वाले बदलाव आपको आपके लक्ष्य तक कैसे पहुंचा रहे हैं।
इन सभी बातों से आप अचंभित रह जाएंगे। जब कभी भी आप किसी भी मजदूर वर्ग से किसी भी तरह की सेवा ले उन्हें कुछ ना कुछ अधिक पैसे या कुछ ना कुछ खाने पीने की चीजे अवश्य दें। इससे शनिदेव सदा आपके ऊपर अच्छी दृष्टि डालते हैं तथा आपके द्वारा किए गए प्रत्येक अच्छे कर्म हो या बुरे कर्म हो सभी का फल में दोगुने प्रतिफल के साथ प्रदान करते हैं। ऐसे में कोई व्यक्ति अच्छे कर्मों को अपने जीवन में समाहित करता है। तो उसे प्रतिफल भी दोगुने अच्छे परिणाम देता है।
शनि देव को कैसे प्रसन्न करें-(shani dev ko kese prasnn kare)
शनिवार के दिन सूर्योदय से पूर्व पीपल के वृक्ष में जल अर्पित करने से तथा तेल के दीपक लगाने से भी शनि देव जातक के ऊपर प्रसन्न होते हैं एवं संध्या बेला में पीपल के वृक्ष के नीचे तिल का तेल का दीपक लगाना भी बहुत ही शुभ माना जाता है तथा शनिदेव की कृपा प्राप्त करने का सबसे सरल उपाय के रूप में कई वर्षों से हमारे पूर्वजों के द्वारा भैया विधि की जाती रही है।
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