शनिदेव की पूजा विधि , shanidev ki puja vidhi

शनिदेव की पूजा विधि(shanidev ki puja vidhi)

शनिदेव की पूजा विधि(shanidev ki puja vidhi) का सही ज्ञान व्यक्ति के जीवन से कई तरह के परेशानियों का निराकरण प्राप्त करने में मदद करता है। शनिदेव जिन्हें कर्म फल दाता के नाम से जाना जाता है। जब किसी व्यक्ति  पर रुष्ट हो जाते हैं। तब उस व्यक्ति के कर्मों का लेखा जोखा करने बैठते हैं। तब वह व्यक्ति कई तरह की परेशानियों से गिरने लगता है। यदि उसके कर्म अच्छे नहीं रहते हैं। तो यही इसके उलट यदि व्यक्ति के कर्म अच्छे रहते हैं। तब शनि देव की दृष्टि में वह व्यक्ति कृपा पात्र बन जाता है तथा उसे कर्मों क में वह व्यक्ति कृपा पात्र बन जाता है तथा उसके उससे अच्छे कर्मों का फल बहुत ही त्वरित गति से प्राप्त होता है।

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वैसे तो सनातन संस्कृति में विभिन्न ग्रह नक्षत्रों देवी देवताओं के लिए अलग-अलग तरह की पूजा पद्धति का वर्णन किया गया है क्योंकि जिस प्रकार प्रत्येक मनुष्य का वर्ण, गुण, दोष, धर्म अलग अलग होता हैl उसी प्रकार देवी देवताओं के भी गुण शक्तियां भिन्न- भिन्न प्रकार से होती है एवं उन्हें भी उसी के अनुसार पूजा जाता है। उन्हीं के अनुसार किसी भी तरह का धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है। ऐसे में किसी भी विशिष्ट देवी देवता की पूजा अर्चना केवल सुनी सुनाई बातों में आकर नहीं करनी चाहिए क्योंकि कई बार ऐसा देखने को मिलता है

कि हम अपने ही हाथों से अपनी समस्याओं को निमंत्रण दे देते हैं। ऐसे में हमें प्रत्येक देवी- देवता का ग्रह, नक्षत्र का सम्मान करना चाहिए तथा उन्हें ध्यान में रखते हुए ही विशिष्ट पूजा पद्धति को अपनाना चाहिए। वैसे तो विभिन्न ग्रहों की पूजा अर्चना अलग-अलग रूप से की जाती है किंतु लोग जब भी शनिदेव की बात करते हैं। तब उनके बारे में यह कहा जाता है कि शनिदेव की ना दोस्ती अच्छी और ना दुश्मनी अच्छी होती है। ऐसे में लोगों के मन में उनके प्रति काफी डर व्याप्त रहता है तथा कैसे ऐसे भाग्यविधाता जो रंक को भी राजा बनाने की क्षमता रखते हैं।

जो भाग्य की रेखाओं से परे अपने आशीर्वाद से किसी व्यक्ति के जीवन को सुखी बना सकते हैं। ऐसे सूर्यपुत्र शनिदेव की पूजा विधि कैसी होनी चाहिए?(suryaputra shanidev ki puja vidhi kaise honi chahiye) किस प्रकार से उन्हें प्रशन्न किया जाना चाहिएl जिससे कि हमारी पूजा अर्चना भी हो जाए एवं हमारे कार्य भी सार्थक रूप से हो जाए तथा हम शनि ग्रह के प्रकोप से भी बच सकें।

शनिदेव की पूजा विधि(shanidev ki puja vidhi)

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शनिदेव की पूजा अर्चना प्रातः सूर्य उदय से पूर्व की जाती है या कई स्थानों पर देखने को मिलता है कि लोग सूर्योदय के बाद भी करते हैं या संध्या की बेला भी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। उनकी पूजा-अर्चना के लिए इसके साथ ही शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए एवं उनकी पूजा-अर्चना के लिए सबसे अच्छा दिन शनिवार को माना जाता है। शनिवार के दिन प्रातः स्नान करने के बाद काले वस्त्र को धारण करेंl

उसके बाद आसन लगाकर एक तिल का मिट्टी का दीपक प्रज्वलित करें। इसके साथ ही दीपक में कुछ दाने सरसों के भी अवश्य डालें। कपूर लोगं तथा काली मिर्च सभी को एकत्रित कर किसी पात्र में जलाएंl घर पर एक मीठी रोटी बनाए तथा भगवान शनिदेव को मन ही मन याद करते हुए उन्हें भोग लगाएं l उसके बाद एक भी काफी दीपक भगवान बजरंगबली के नाम का अवश्य जलाएंl सबसे पहले भगवान श्री गणेश के किसी भी मंत्र का जाप कम से कम 108 की संख्या में  जाप करेंl उसके बाद अपने पूजन विधि को संपन्न करने की याचिका भगवान गणेश के समक्ष लगाएंl

भगवान शनिदेव उन लोगों का अनिष्ट कभी नहीं करते हैं। जो भी व्यक्ति हनुमान जी का भक्त होता है। पवन पुत्र शनि के सभी तरह के प्रकोप से उसकी रक्षा करते हैं। अतः शनिदेव की पूजा करने से पूर्व बजरंगबली की भी पूजा अर्चना करना बहुत आवश्यक है इसलिए जब आप गणेश भगवान का मंत्र जाप पूर्ण कर ले। तब सुंदरकांड का एक पाठ अवश्य करेंl उसके बाद बजरंग बाण का एक पाठ भी आपको करना है। शनिदेव का आवाहन करते हुए उसके बाद शनिदेव का मंत्र -. ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमःll का जाप जितना अधिक हो सके उतनी अधिक संख्या में करनी है। 

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जाप संख्या पूर्ण होने के  बाद भगवान से अपनी गलतियों के लिए क्षमा अवश्य मांगे। भोग लगी हुई मीठी रोटी को आप किसी मजदूर को खाने के लिए दे सकते हैं या आप चाहे तो पक्षियों को भी खाने के लिए दे सकते हैं। शनिवार के दिन जिस दिन भी आप ने पूजा अर्चना की है। उस दिन पूरे दिन केवल फल एवं जल पर रहें तथा संध्या बेला में पूरे मन से उड़द दाल की खिचड़ी सेंधा नमक से युक्त बनाए। उसके बाद उस खिचड़ी का कुछ अंश गरीबों को दान करें तथा कुछ अंश कुत्तों को अवश्य खाने दे थोड़ी सी खिचड़ी आप स्वयं भी खा सकते हैं।

शनिदेव की पूजा विधि(shanidev ki puja vidhi) का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। जब आप किसी मजदूर वर्ग की पूरे मन से सहायता करेंl अतः इस दिन किसी भी मजदूर वर्ग के व्यक्ति या जो व्यक्ति धन के अभाव से ग्रसित है या किसी भी तरह से वह लाचार है। तो उस व्यक्ति की सेवा अवश्य करें एवं उससे भूल कर भी किसी भी तरह का वाद विवाद करने का प्रयास नहीं करेंl हो सके तो उसे आप छाता एवं मिठाई अवश्य भेंट स्वरूप प्रदान करें या फिर यदि उसके पास जूते या चप्पलों का अभाव है।

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तो ऐसी अवस्था में उसे 1 जोड़ी चप्पल या जूता अवश्य भेंट स्वरूप दें तथा उससे भी आशीर्वाद ले। यकीन मानिए शनिदेव की ऐसी कृपा आप पर होगी कि आपके भाग्य के प्रत्येक ताले की चाबी आपको प्राप्त होगी। जिससे आप सफलता के सर्वोत्तम शिखर पर पहुंचेंगे लोगों से माधुर्य संबंध बनेंगे। कई तरह से शनिदेव की कृपा आपको प्राप्त होगी तथा जीवन में चल रही सभी तरह की परेशानियों त्वरित गति से समाप्त होने लगेंगी। 

संध्या बेला में शनिवार के दिन भगवान बजरंगबली के मंदिर में एक घी का दीपक अवश्य लगाएं। इसके साथ साथ पीपल के पेड़ के नीचे भी एक सरसों के तेल का दीपक या तिल के तेल का दीपक लगाएंl इस तरह से शनिदेव की पूजा विधि पूर्ण रुप से संपन्न होती है तथा उसका फल भी आपको जल्द प्राप्त होने लगता है। जिसके प्रभाव से आपके जीवन में बदलाव आने शुरु होने लगते हैं। 

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